MMBS स्टूडेंट आत्महत्या मामले में दिया ज्ञापन दिया:​​​​​​​अजाक के पदाधिकारियों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देकर कहा- दोषियों के खिलाफ हो FIR

कर्नाटक में एमबीबीएस कर रहे बाड़मेर के दलित छात्र लोकेन्द्र सिंह की आत्महत्या के मामले में दोषियों पर एफआईआर करवाने और जांच कर सख्त से सख्त सजा देने की मांग को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन दिया गया। डॉ अंबेडकर अनुसूचित जाति अधिकारी-कर्मचारी एसोसिएशन (अजाक) जैसलमेर के अध्यक्ष प्रदीप कुमार बारूपाल के नेतृत्व में राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में मृतक छात्र लोकेन्द्र सिंह द्वारा आत्महत्या करने की जांच करवाने, आत्महत्या के लिए उकसाने वाले स्टूडेंट के खिलाफ एफआईआर करवाने और और दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलवाने की मांग की गई। अजाक जैसलमेर के अध्यक्ष प्रदीप कुमार बारूपाल ने बताया कि बाड़मेर शहर निवासी एडवोकेट अमित धनदे के पुत्र लोकेन्द्र सिंह, अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज बेंगलुरु (कर्नाटक) में एमबीबीएस कर रहा था। अध्ययन के दौरान कुछ सहपाठियों द्वारा निरंतर उसके साथ जातीय भेदभाव एवं मानसिक प्रताड़ना (टॉर्चर) करने से उसकी मानसिक स्थिति अवसाद (डिप्रेशन) में चली गईं। मजबूरन उसने 11 जून को आत्महत्या कर ली। उन्होंने बताया कि ऐसी घटना न केवल शिक्षा जगत के लिए एक बेहद शर्मनाक और दुखद घटना है बल्कि आजादी के 77 वर्ष गुजरने के बाद भी भारत में SC वर्ग के विद्यार्थियों को असमानता के ऐसे घिनौना व्यवहार के कारण आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़े तो यह संविधान की भी हत्या है। अब तक ऐसे कितने ही छात्रों ने जातीय दंश को झेलकर मौत को गले लगाया है या उन्हें जातीय भेदभाव के चलते मार दिया गया और उनकी मौत को आत्महत्या का नाम देकर इतिश्री किया गया है। ये आजाद भारत के माथे पर कलंक है। आत्महत्या की जांच व दोषियों के खिलाफ हो FIR प्रदीप बारूपाल ने बताया SC/ST वर्गों के छात्र- छात्राओं एवं शिक्षा जगत के कार्मिकों के साथ निरंतर जातीय भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न, अत्याचार एवं बलात्कार की घटनाओं में निरंतर वृद्धि हो रही है, जिससे देश के समस्त SC/ST वर्गों में गहरा असंतोष व्याप्त है एवं उनके मन में असुरक्षा का गहरा भाव जागृत हो रहा है। यदि इस प्रकार की घटनाओं पर शीघ्रातिशीघ्र अंकुश नहीं लगाया गया तो यह न कवल समाज के लिए बल्कि पूरे देश के लिए भी बहुत ही खतरनाक स्थिति हो सकती है। उन्होंने दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने और संसद में विधेयक पेश कर ऐसे अधिनियम बनाने की मांग कि ताकि इस तरह से हमारे बच्चों की इस तरह से संस्थानों के अंदर हत्या दुबारा ना हो। ऐसे दोषियों को कठोर से कठोर दंड देकर सजा दी जाए।

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