3 साल से जमे डॉक्टरों की छुट्टी होगी:निदेशालय ने जिले के उन चिकित्सकों की सूची मांग ली, जो एक ही स्थान पर बीते तीन या इससे अधिक साल से हैं

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य निदेशालय के एक आदेश ने चिकित्सकों और विभागीय अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। कारण कि निदेशालय ने 20 दिन पहले जिले के उन चिकित्सकों की सूची मांग ली, जो एक ही स्थान पर बीते तीन या इससे अधिक साल से डटे हैं। हालांकि विभाग ने यह सूची तैयार कर भेजने में काफी समय लगा दिया। विभाग को दो बार रिमाइंडर भी भेजना पड़ा। सूत्रों के मुताबिक जिले के महात्मा गांधी अस्पताल में कुछ डॉक्टर ऐसे हैं, जो राजनीतिक रसूख के चलते ओपीडी या फिर इमरजेंसी ड्यूटी में यदा-कदा ही नजर आते हैं। कमोबेश यही हाल प्रदेश के दूसरे के बड़े सरकारी अस्पतालों के हैं। इससे चिंतित चिकित्सा मंत्री के आदेश पर प्रदेशभर में ऐसे चिकित्सकों की सूची तैयार की जा रही है, जो कि एक ही स्थान पर तीन साल या इससे भी अधिक समय से एक ही जगह तैनात हैं। चिकित्सक ही नहीं, विभाग में सीएमएचओ और पीएमओ जैसे बड़े पदों पर बैठे अधिकारियों तक को भी दायरे में लिया जा रहा है। यह स्थिति बांसवाड़ा की एमजी अस्पताल व डिस्पेंसरियों में कुल 51 डॉक्टर कार्यरत हैं, जबकि 50 पद रिक्त हैं। जिले के अन्य सरकारी अस्पतालों में 134 डॉक्टर काम कर रहे हैं, जबकि 76 पद खाली हैं। जिले में 185 डॉक्टर कार्यरत हैं, जबकि 126 पद खाली हैं। चिकित्सा विभाग भी प्रशासनिक अधिकारियों की तरह नई तबादला नीति लागू कर सकता है। इसका मुख्य उद्देश्य दूरस्थ अंचल के गांव-गांव, ढाणी-ढाणी में चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराना है। चिकित्सा विभाग के निदेशक ने करीब 20 दिन पहले आदेश जारी कर बांसवाड़ा सहित प्रदेशभर के सीएमएचओ और पीएमओ से सूची मांगी थी। इसके बाद भी मातहत अधिकारियों ने सूची नहीं भेजी तो निदेशालय को रिमाइन्डर भेजना पड़ा, तब जाकर सूचियां प्रेषित की गईं। 80 प्रतिशत डॉक्टर दायरे में जिले में 80 प्रतिशत डॉक्टर ऐसे हैं, जो 3 साल या इससे अधिक समय से एक ही स्थान पर कार्यरत हैं। सूची भेज दी गई है। डॉ. हीरालाल ताबियार, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, बांसवाड़ा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *