बांगुश वैली: यहां देख सकेंगे कश्मीर की अनछुई सुंदरता

बांगुश वैली का एक खूबसूरत प्राकृतिक नजारा। कैसे पहुंचें? श्रीनगर से बांगुश वैली की दूरी 115 किमी और टीटवाल की दूरी 170 किमी है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट की उतनी अच्छी व्यवस्था नहीं है, लेकिन आपको श्रीनगर से टैक्सी आराम से मिल जाएगी। आप अपने वाहन से भी जा सकते हैं और सड़क अच्छी बनी है। कहां ठहरें? बांगुश वैली में ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है। टीटवाल में कुछ अच्छे होमस्टे बने हैं। आप श्रीनगर से टीटवाल जाते समय या लौटते समय बांगुश वैली देख सकते हैं। कब जाएं? बांगुश वैली में सर्दियों में खूब हिमपात होता है और यह बंद रहती है। टीटवाल के रास्ते में आने वाला साधना पास भी सर्दियों में बंद रहता है। ये सभी रास्ते अप्रैल-मई में खुलते हैं और नवंबर दिसंबर में हिमपात होने तक खुले रहते हैं। कैसे पाएं परमिट? बांगुश वैली और टीटवाल दोनों ही स्थान सीमावर्ती हैं, इसलिए यहां जाने के लिए परमिट की आवश्यकता होती है। आप क्रालपोरा थाने से यहां जाने का परमिट ले सकते हैं। परमिट ऑफलाइन बनता है और इसके लिए आधार कार्ड या किसी भी भारतीय पहचान-पत्र की आवश्यकता होती है। ज ब भी कश्मीर की बात आती है तो गुलमर्ग, सोनमर्ग, पहलगाम आदि स्थानों का जिक्र ही सबसे पहले आता है। कश्मीर जाने वाले ज्यादातर टूरिस्ट इन्हीं स्थानों को देखकर वापस लौट जाते हैं। लेकिन कश्मीर में इनके अलावा भी बहुत सारे स्थान ऐसे हैं, जहां अभी भी ज्यादा पर्यटक नहीं जाते। इन स्थानों की प्राकृतिक खूबसूरती देखते ही बनती है और यहां कोई भीड़ व कोई ट्रैफिक जाम भी नहीं होता। ऐसा ही एक स्थान है बांगुश वैली। श्रीनगर के उत्तर पश्चिम में 85 किमी दूर कुपवाड़ा स्थित है। श्रीनगर की तरह कुपवाड़ा भी घाटी में स्थित है, लेकिन इसके बाद ऊंचे-ऊंचे पर्वत आरंभ हो जाते हैं। इन्हीं पर्वतों में कुछ दर्रे भी हैं और कुछ घाटियां भी हैं। बांगुश वैली भी ऐसी ही एक घाटी है। कुपवाड़ा के पश्चिम में 30 किमी दूर बांगुश वैली आरंभ हो जाती है। यह कई सौ वर्ग किमी में फैली है। चूंकि यह घाटी पाक अधिकृत कश्मीर से मिलती है, इसलिए पहले यहां कोई नहीं जाता था, लेकिन आज यह पर्यटन मानचित्र में आने लगी है और पर्यटक भी इधर का रुख करने लगे हैं। बांगुश वैली समुद्र तल से 2,200 मीटर से 3,000 मीटर की ऊंचाई तक फैली है। यहां बड़े-बड़े घुमावदार मैदान हैं, जहां घास और अनगिनत प्रकार के फूल होते हैं। इन मैदानों में आप पैदल या खच्चरों पर घूम सकते हैं। वैली में बहती छोटी-छोटी जलधाराएं इसकी खूबसूरती को और बढ़ा देती हैं। अभी इस स्थान का व्यवसायीकरण नहीं हुआ है, इसलिए इसकी प्राकृतिक खूबसूरती देखते ही बनती है। यदि आपके पास टैंट है तो आप यहां टैंट भी लगा सकते हैं। यदि आपको ऑफबीट स्थानों पर घूमना पसंद है तो आज ही बांगुश वैली को अपनी लिस्ट में शामिल कर लीजिए। साधना दर्रा 3,100 मी. की ऊंचाई पर बांगुश वैली के पास ही साधना पास नामक एक दर्रा है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 3,100 मीटर है। यह दर्रा कुपवाड़ा और किशनगंगा घाटी को जोड़ता है। यहां मौसम हमेशा ही ठंडा रहता है और सर्दियों में बर्फ भी गिरती है। यहां से आप चारों तरफ की बर्फीली चोटियों को भी देख सकते हैं। मानसून में यहां का नजारा देखने लायक होता है। हर तरफ हरियाली होती है और अनगिनत प्रकार के फूल खिलते हैं। एलओसी के पास टीटवाल साधना पास से लगभग 35 किमी पश्चिम में समुद्र तल से 1,100 मीटर की ऊंचाई पर टीटवाल स्थित है। यह किशनगंगा नदी के किनारे एक छोटा-सा गांव है। यहां पर किशनगंगा नदी एलओसी का काम करती है और नदी के उस तरफ पाक अधिकृत कश्मीर है। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव होने के कारण नदी पार नहीं की जा सकती, लेकिन यहां नदी पर बना पुल दर्शनीय है। जब भारत और पाकिस्तान के संबंध ठीक थे, तब स्थानीय लोग नदी पार करके आना-जाना करते थे। टीटवाल शारदा देवी के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। शारदा माता का प्राचीन मंदिर आज के समय में पाक अधिकृत क्षेत्र में आता है और किसी भी भारतीय को वहां जाना मना है। प्राचीन शारदा मंदिर शक्तिपीठ होने के साथ-साथ शिक्षा का भी एक बड़ा केंद्र था। उसी की प्रतिकृति के रूप में टीटवाल में शारदा माता का एक नया मंदिर बनाया गया है। }musafirneeraj@gmail.com _photocaption_मुसाफ़िर हूं यारो*photocaption* नीरज मुसाफ़िर जाने-माने ट्रैवल ब्लॉगर

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