गहलोत राज से जमे सीनियर अफसरों को बदलने की तैयारी:10 बड़े अधिकारियों के नाम की अधिक चर्चा; मंत्रियों से तालमेल नहीं, शिकायतें भी कारण

पिछली कांग्रेस सरकार में टॉप पदों पर लगाए गए 10 आला IAS अफसरों के जल्द ट्रांसफर हो सकते हैं। इस लिस्ट में दो-तीन सीनियर अधिकारी ऐसे हैं, जिनके बारे में लगातार शिकायतें मिल रही हैं। यह तबादला सूची 4 जून को लोकसभा चुनावों के परिणामों के तुरंत बाद जारी होनी थी, लेकिन मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव स्तर पर यह अटकी हुई है। मंथन इस बात हो रहा है कि इनकी जगह ऐसे अफसरों को लगाया जाए, जिन्हें एक-डेढ़ वर्ष में दोबारा न बदलना पड़े। ब्यूरोक्रेसी में मैसेज देने के लिए तबादले राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में यह पहली बार हुआ है कि सरकार बदलने के 6 महीने बाद भी टॉप पदों पर वही अफसर काम कर रहे हैं जो पिछली सरकार ने लगाए थे। विपक्ष भी लगातार सरकार को इस बात पर निशाना बना रही है, कि राज्य का शासन ब्यूरोक्रेट चला रहे हैं। अब इन्हें बदले जाने की तैयारी है, ताकि मैसेज यह जाए कि यह सरकार उन्हीं अफसरों के भरोसे नहीं है, बल्कि अपनी पसंद के अफसरों को महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी दे सकती है। इसके लिए करीब 20 टॉप लेवल के अफसरों को इधर-उधर करने की लिस्ट तैयार हो रही है। 1. प्रकाश राजपुरोहित : लंबी अवधि से हैं जयपुर कलेक्टर के पद पर प्रदेश की राजधानी और सबसे बड़े जिले के कलेक्टर पद पर प्रकाश राजपुरोहित जुलाई-2022 से नियुक्त हैं। उन्हें इस पद पर दो वर्ष हो गए हैं। बीते दो वर्षों में किसी भी आईएएस अफसर को कलेक्टर के पद पर दो वर्ष रहने का अवसर नहीं मिला। इस बीच सरकार भी बदल गई, लेकिन राजपुरोहित को नहीं बदला गया था। अब उन्हें बदला जाना तय माना जा रहा है। 2. अरविंद पोसवाल : कांग्रेस सरकार के दौरान पूरे पांच वर्ष मेवाड़ में रहे, अब जाएंगे बाहर दिसंबर-2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी। तब 25 दिसंबर-2018 को आईएएस अरविंद पोसवाल को राजसमंद कलेक्टर लगाया गया। उसके बाद उन्हें 19 जनवरी-2022 को चित्तौड़गढ़ कलेक्टर लगाया गया। चित्तौड़गढ़ के बाद उन्हें 15 जुलाई 2023 को उदयपुर कलेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया। पोसवाल तब से उदयपुर के कलेक्टर पद पर कार्यरत हैं। राजसमंद, चित्तौड़गढ़ और उदयपुर तीनों मेवाड़ क्षेत्र के जिले हैं। राजसमंद जिले से आने वाले कांग्रेस के एक दिग्गज राजनेता जो केन्द्र व राज्य सरकार में विभिन्न शीर्ष पदों पर रहे हैं, उन्हें पोसवाल का काम काफी पसंद था। अब यह नेता किसी पद पर नहीं हैं और हाल ही लोकसभा का चुनाव भी मेवाड़ के ही एक अन्य जिले से हार गए हैं। पोसवाल का जल्द ही ट्रांसफर किया जाएगा। संभवत: उन्हें मेवाड़ से बाहर भेजा जाए। 3. जयपुर की संभागीय आयुक्त आरुषि मलिक और बांसवाड़ा के आयुक्त पवन का बदलना भी तय राजस्थान के 10 संभागों में से जयपुर की संभागीय आयुक्त डॉ. आरुषि मलिक और बांसवाड़ा के संभागीय आयुक्त नीरज के. पवन ही डायरेक्ट आईएएस हैं। शेष 8 संभागों के आयुक्त प्रमोटी आईएएस अफसर हैं। जयपुर और बांसवाड़ा में भी अब प्रमोटी आईएएस अफसर को संभागीय आयुक्त पद की जिम्मेदारी सौंपी जानी है। डॉ. आरुषि को किसी महत्वपूर्ण विभाग में शासन सचिव के पद पर लगाया जा सकता है। वे पूर्ववर्ती सरकार के समय अक्टूबर-2023 से ही इस पद पर कार्यरत हैं। नीरज के पवन की भी बांसवाड़ा में नियुक्ति अगस्त-2023 से है। ऐसे में उनका बदला जाना भी तय माना जा रहा है। 4. गायत्री राठौड़ सबसे लंबी अ‌वधि से संभाल रही हैं पर्यटन विभाग वर्ष 1997 बैच की आईएएस अफसर गायत्री राठौड़ फरवरी-2022 से पर्यटन विभाग की प्रमुख शासन सचिव के पद पर कार्यरत हैं। बीते एक दशक में इस विभाग में सबसे लंबी समयावधि उन्हीं ने बिताई है। अब उन्हें बदला जाएगा। उनके कार्यकाल को दोनों सरकारों में सराहना मिली है। ऐसे में संभावना है कि उन्हें और भी बेहतर पोस्टिंग मिल सकती है। इधर पर्यटन विभाग की कमान डिप्टी सीएम और पर्यटन मंत्री दीया कुमारी के पसंदीदा किसी आईएएस अफसर को मिल सकती है। 5. लोकसभा व विधानसभा के चुनाव करवाने वाले प्रवीण गुप्ता को मिलेगी नई पोस्टिंग राजस्थान में जुलाई-2020 से मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के पद पर कार्यरत प्रवीण गुप्ता को अब नई पोस्टिंग मिलेगी। उनके नेतृत्व में विधानसभा व लोकसभा दोनों चुनाव हुए हैं। दोनों चुनावों में राजस्थान में कहीं कोई बड़ी शिकायत सामने नहीं आई। प्रवीण गुप्ता पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में वित्त विभाग में भी रहे हैं। सचिवालय में चर्चा है कि उन्हें वित्त विभाग में ही महत्वपूर्ण पोस्टिंग मिल सकती है। उधर मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) की पोस्ट पर नवीन महाजन के आदेश जारी हो चुके हैं। 6. सरकार बदलते ही पहले ही दिन बदले जाने वाले विभाग की कमान अब तक गेरा के हाथों में आम तौर पर यह परंपरा है कि प्रदेश में सरकार बदलते ही वित्त, गृह व कार्मिक तीन विभागों के आला अफसरों को तुरंत (पहले-दूसरे दिन ही) बदला जाता रहा है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। कार्मिक, गृह व वित्त तीनों विभागों के अफसरों को नहीं बदला गया। इनमें से एक हैं कार्मिक विभाग के प्रमुख शासन सचिव हेमंत गेरा। यह विभाग आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, आरएएस सहित विभिन्न विभागों के डॉक्टर, इंजीनियर, व्याख्याता आदि (करीब एक लाख राजपत्रित अफसरों) को नियंत्रित करने का काम करता है। इसी के माध्यम से हर सरकार विभिन्न भर्ती नियम, सेवा नियम आदि भी तय करती है। ऐसे में अब गेरा का तबादला होना तय माना जा रहा है, क्योंकि सीएम भजनलाल शर्मा ने अब जल्द ही हर महीने नई भर्तियां शुरू करने का ऐलान भी कर दिया है। 7. सबसे ताकतवर विभाग की कमान पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय से संभाल रहे आनंद कुमार प्रदेश सरकार में सबसे ताकतवर माने जाने वाले विभाग गृह के अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं आनंद कुमार। कुमार इस पद पर अक्टूबर-2022 से कार्यरत हैं। वे इस पद पर प्रमुख शासन सचिव के रूप में लगे थे और दिसंबर-2023 में पदोन्नत होकर अतिरिक्त मुख्य सचिव बने। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर अक्सर भाजपा नेताओं की ओर से कानून व्यवस्था और बढ़ते अपराधों को लेकर आरोप लगाए जाते थे। तब सीएम अशोक गहलोत ही गृह मंत्री थे और गृह राज्य मंत्री थे राजेन्द्र यादव। यादव अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं। अब सत्ता बदल चुकी है और कांग्रेस भाजपा पर अपराधों को बढ़ाने का आरोप लगा रही है। ऐसे में स्वाभाविक है कि अब गृह विभाग में भी कुमार सहित बड़े बदलाव जल्द होने हैं। 8. वित्त विभाग के 4 आईएएस अफसरों की टीम को बजट से पहले बदले जाने की पूरी संभावना वित्त विभाग सरकार की आर्थिक रीढ़ कहा जाता है। इस विभाग की आम तौर पर कमान सीएम खुद ही रखते आए हैं। पिछले 20 वर्षों में 2003 से 2023 के बीच प्रदेश के वित्त मंत्री भी तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे ही रहते आए हैं। इस बार वित्त मंत्री स्वयं मुख्यमंत्री नहीं हैं, बल्कि डिप्टी सीएम दीया कुमारी वित्त मंत्री हैं। वित्त विभाग में भी यह पहली बार हुआ है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के लगाए चार टॉप पदों पर वही ऑफिसर बीजेपी सरकार में भी उसी पोस्ट पर काम कर रहे हैं। पूर्व सीएम गहलोत पर मुफ्तखोरी की योजनाओं में खजाना लुटाने का भाजपा अक्सर आरोप लगाती थी। अब उन्हीं चारों अफसरों द्वारा वर्तमान सरकार का बजट तैयार करने को सरकार के भीतर अच्छा संदेश नहीं माना जा रहा है। ऐसे में इस विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अखिल अरोड़ा, शासन सचिव (राजस्व) के. के. पाठक, कमिश्नर वाणिज्यिक कर डॉ. रवि कुमार सुरपुर और शासन सचिव (व्यय) नरेश कुमार ठकराल को बदले बजट से पहले बदले जाने की पूरी संभावना है। वो अफसर जिनका कार्यशैली, शिकायत के चलते हो सकता है ट्रांसफर राज्य सरकार तीन आईएएस अफसरों को भी जल्द आने वाली सूची में बदल सकती है। इनमें राजस्थान काडर की टॉप आईएएस अफसर हैं शुभ्रा सिंह भी है। जो करीब एक दशक का समय दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर बिता कर मई-2023 में जयपुर लौटी थीं। उन्हें तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने मेडिकल विभाग का अतिरिक्त मुख्य सचिव बनाया था। हाल ही मेडिकल विभाग के सामने किडनी प्रत्यारोपण, चिरंजीवी-आयुष्मान योजना जैसे मामले सामने आए। साथ ही नर्सिंग कॉलेजों के रजिस्ट्रेशन को लेकर भी अनियमितताओं की शिकायतें सरकार तक पहुंची। ऐसे में अब इस विभाग की कमान भी किसी अन्य अफसर को सौंपी जा सकती है। ऐसे ही राजस्थान के सबसे चर्चित प्रशासनिक पद जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीसी) के आयुक्त को माना जाता है। इस पद पर कार्यरत हैं मंजू राजपाल। राजपाल की छवि उनके करियर में नियमों का पालने करने वाली अफसर के रूप में रही है, लेकिन जयपुर के मामलों में उनकी एक ताकतवर महिला मंत्री से पटरी नहीं बैठ रही है। साथ ही जयपुर में हाल ही अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए हुई बड़ी कार्रवाई में भी कुछ राजनीतिक लोग उनसे नाराज हो गए हैं, जबकि वो कार्रवाई न्यायालय के आदेशों पर की गई थी। ऐसे में उनका तबादला भी संभव है। दूसरी ओर ट्रांसपोर्ट, जलदाय व बिजली विभाग के कारण सरकार विपक्ष के रोजाना हमले झेल रही है। सोशल मीडिया पर लगातार आलोचना हो रही है कि प्रदेश में अघोषित बिजली कटौती जारी है और पेयजल व्यवस्था भी बिगड़ी हुई है। जलदाय विभाग का जिम्मा आईएएस समित शर्मा के पास है। ट्रांसपोर्ट विभाग में भी कांग्रेस सरकार में नियुक्त मनीषा अरोड़ा काम कर रही हैं। ऐसे में इन विभागों के अधिकारियों का भी ट्रांसफर किया जा सकता है।

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