खाना नहीं खाने पर पत्नी-बेटा जाते तस्कर के ठिकाने:मोबाइल करती स्वीच ऑफ, एक ट्रीप पर मिलते एक लाख रुपए, 15 साल में बनाया बड़ा नेटवर्क

NDPS मामले में 15-20 सालों से फरार तस्कर को पकड़ने के लिए पुलिस ने दो माह तक ऑपरेशन मोना चलाया। पुलिस को पत्नी से मिले इनपुट के आधार पर जाल बिछाया। पत्नी ने किसी व्यक्ति को कहा कि बेटा पिता के हाथ से ही खाना खाता है। फिर वहीं पर दो पुलिस जवानों ने किराए के मकान में रहकर परिवार की निगरानी शुरू की। पत्नी अपना मोबाइल स्वीच ऑफ करके अपने बेटे को लेकर जाने पर संदेह हुआ। पुलिस ने पीछा कर ठिकाने का पता लगाया। फिर ड्रोन से घर की रैकी की। शनिवार रात को पुलिस ने तस्कर के ठिकानें को घेरकर ललकारा और कमांडों को उसे घर में कूदे, छत पर चढ़कर पुलिस की घेराबंदी देखकर तस्कर ने सरेंडर कर दिया। पुलिस ने तस्कर, उसके हिस्ट्रीशीटर ड्राइवर व उसके दो मैकेनिकों को भी पकड़ा है। इसके कब्जे से 2 पिस्टल, 63 कारतूस बरामद किए है। सभी कारतूस 9 एमएम के है। जो प्रतिबंधित है। केवल पुलिस व सैन्य बलों के पास ही होते है। पूरी कार्रवाई बाड़मेर शहर उतरलाई रोड चंदन नगर शनिवार रात की है। दरअसल, तस्कर जसाराम उर्फ जसवंत शहर के बलदेव नगर मोहल्ले में घर है। जहां उसका परिवार रहता है। वह पुलिस के डर से चंदन नगर में बने गैराज बनाकर रहता था। जहां चोरी की गाड़ियों को मॉडिफाई करके तैयार करता है। इसके ठिकाने का पता लगाने के लिए पुलिस ने इसके घर के पास किराए पर कमरा लिया। जहां उसके परिवार और उस पर नजर रखी। तस्कर जसाराम की बीबी उसे गैराज में खाना देने जाती थी। साथ ही अपने बेटे को भी ले जाती थी। क्योंकि उसका बेटा अपने पिता जसाराम के साथ की खाना खाता था। पुलिस को यह क्लू हाथ लग गया। जिससे पुलिस को आरोपी के ठिकाने का पता लग गया। जोधपुर रेंज आईजी विकास कुमार ने भास्कर से विशेष बातचीत भास्कर – जोधपुर रेंज पुलिस ने एक तस्कर को दबोचा, कैसे सफलता हाथ लगी जवाब – आई विकास कुमार ने बताया कि रेंज स्तर पर तीन टीमें बनाई गई है। एक साइक्लोनर, स्ट्रांग, टॉरमेडो अलग-अलग 3 विशेष टीमे बनाई गई है। साइक्लोनर टीम तकनीकी सूचना के लिए, स्ट्रांग टीम मानवीय सूचना और टॉरमेडो टीम फील्ड ऑपरेशन के लिए है। इन तीनों के संयुक्त प्रयास और बाड़मेर पुलिस की मदद से शनिवार रात को कुख्यात अपराधी को जसाराम, उर्फ जस्सु उर्फ जसंवत उर्फ जसिया को गिरफ्तार किया है। जो करीब एक लाख रुपए से ज्यादा का इनामी है राज्य में। 15-20 सालों से पुलिस की आंखों में धूल झोक कर लगातार फरार था, मादक पदार्थ की तस्करी का बड़ा सम्राज्य गहरी जड़ों के साथ जमा रखा था। भास्कर- क्लू कैसे मिला, 15-20 सालों से आरोपी फरार चल रहा था जवाब – आईजी ने बताया कि हम तब हमारे सामने एक दर्जन मुकदमें सामने आए है। रिकॉर्ड के मुताबिक तीन बार पुलिस पर फायर करके फरार हो चुका है। टीबी हनुमानगढ़, पाली, और देवगढ़ राजसमंद में पुलिस पर फायर कर भागने में सफल रहा है। दो पिस्टल और 63 कारतूस बरामद किए है। इससे पता लग जाता था कि बड़ी से बड़ी फौज से लड़ने का दुसाहस रखता था। तकनीकी तौर पर मोबाइल इस्तेमाल नहीं करता था। शातिर माइंड होने के कारण अचानक आना और गायब हो जाना इसकी प्रवृति में था। मानवीय रूप से बहुत सर्तक था। दो माह पहले इसके खिलाफ मुहिम छेड़कर मोना ऑपरेशन शुरू किया। ऑपरेशन मोना यानी मोस्ट वांटेड इन नारकोटिक्स। इसका नाम है जस्सी, जस्सी जैसी कोई नहीं एक सीरियल आता था उसमें अभिनेत्री मोना सिंह थी। इसके आधार पर इस अभियान का नाम गोपनीयता की दृष्टि से मोना सिंह रखा गया था। दो माह पहले अभियान शुरू किया। जब इसका कोई सुराग नहीं मिल रहा था। तब परिवार पर निगरानी रखना शुरू किया। परिवार पर शिकंजा कसा। एक बार इसकी पत्नी ने किसी को कहा कि मेरा बेटा खाना नहीं खाता। पिता के हाथों से ही खाना खाता है। उस दिन हमारी आंखों में चमक आ गई। जो बेटा बाप के हाथों से खाना खाता है वो बाप हमारे हाथों से जेल की हवा खाएगा। वो मेहनत रंग लाई। तस्करी पत्नी के घर के सामने दो पुलिस वाले किराएदार बना कर रखवाए। घरवालों की एक्टिविटी पर ध्यान रखा। यह एक पेटर्न सामने आया कि इसकी पत्नी हर चार-पांच दिन में अपना मोबाइल बंद करके गोपनीय तरीके से बाड़े में जाती है। काफी समय वहां पर बिताने के बाद वापस घर आती है। उसके बाद उस बाड़े की पहचान हमने की। ड्रोन से उसका सर्वे किया। वहां पर कई गाडियां और इस तरह की एक्टिविटी दिखी। तो हमारा शक यकीन में बदल गया। इसके बाद शनिवार को यही पर्टन हुआ तो हमारे सारे कमांडो अत्याधुनिक हथियारों के साथ गए। घेराबंदी कर उसका ललकारा तो मुकाबला करने के लिए दो लोग पिस्टल लेकर छत पर आए। सारों तरफ घेराबंदी देखकर इनकी हिम्मत जवाब दे गई। इन्होंने सरेंडर कर दिया। इसके पास से 2 पिस्टल, 63 कारतूस, 12 मोबाइल जिसमें से 6 मोबाइल जला दिए है। 2021 मॉडल की चोरी की स्कार्पियो, एक संदिग्ध फॉर्च्युनर और पूरा-पूरा का गैरेज मिला है। उस गैरेज में एक अत्याधुनिक फैसिलिटी हो सकती है। वो सारी थी। गाडी के नंबर प्लेट, चैसिंस नंबर, मॉडिफाइड करना, सीट हटाना, गोपनीय तरीके से तहखाने बनाए जाते थे। मरम्मत करना, टायर बदला तमाम अत्याधुनिक चीजें मिली है। नए टायरों का जखीरा मिला है। हर 10-15 हजार किलोमीटर पर टायर बदलकर जिससे नए होने पर भागने में आसानी हो। इस सारी व्यवस्थाओं के साथ इतना मजबूत साम्राज्य खड़ा कर रखा था। इसका पटाक्षेप किया है। भास्कर- प्रतिबंधित 9 एमएम कारतूस बड़ी मात्रा में मिलना बड़ी बात है। जवाब – जोधपुर रेंज आईजी विकास कुमार ने कहा कि तस्कर के पास से प्रतिबंधित 9 एमएम कारतूस मिले है। यह बहुत ही गंभीर बात है। यह कारतूस पुलिस व सैन्य बलों के पास ही होत है। आज जनता के लिए उपलब्ध नहीं है। बड़ी संख्या में 63 कारतूस 9एमएम मिले है। इससे दो दिन पहले लंका ऑपरेशन में सुनील के पास से भी 40 प्रतिबंधित कारतूस मिले है। दो माह पहले लालसिंह के पास से बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित कारतूस मिले है। यह बहुत चितांजनक है। यह खतरनाक प्रवृति की ओर इशारा कर रहा है। इस पर बहुत गहनता से अनुसंधान किया जाएगा। ताकि इस प्रवृति पर लगाम लगाया जा सके। भास्कर – इसको गॉडफॉदर, राजनीतिक संरक्षण दे रहा हो जवाब- आईजी बताया कि बड़े होने से पहले इसने बहुत बड़ा होने की ख्वाहिश पाल ली। बड़े-बड़े हाथ मारें, बड़े समय तक पुलिस की आंख में धूल झोकी है। आखिरकर बड़ी कार्रवाई कर इस कहानी का पटाक्षेप हुआ है। ड्राइवर के रूप में कैरियर की शुरूआत की थी, शराब का धंधा किया। लेकिन उससे ज्यादा कुछ नहीं मिला। तो बड़े गॉडफॉदर के साथ गाड़ियां चलाई। उसमें भी फायदा कम दिखा और धीरे-धीरे मजबूत होता गया। इसके गॉडफॉदर के साथ पार्टनरशिप कर ली। फिर खुद का बड़ा समझने लगा और फिर अपना खुद का अलग धंधा किया और फिर साम्राज्य इतना बढ़ा दिया। एजेंट व ड्राइवर रखकर सारे काम करता था। 15-20 सालों तक अपना साम्राज्य चलाया। भास्कर- मादक पदार्थ कहां से लाता था जवाब – आईजी ने बताया कि अभी तक पूछताछ में सामने आया है कि मादक पदार्थ चितौड़गढ़, प्रतापगढ़ से मादक पदार्थ लाता था। जोधपुर, बाड़मेर और आसपास के जिलों में सप्लाई करता था। भास्कर- यह सप्लाई करने खुद ही जाता था या फिर किसी और को भेजता था जवाब – आईजी विकास कुमार ने बताया कि तस्कर का मानना था कि मैं रहूंगा तभी पार पा पाऊंगा, अपने दिलेरी, शातिरपन पर और चकमा देने के अंदाज पर इसका बहुत भरोसा था। इसलिए हमेशा इस तरह के अभियानों में खुद ही जाता था। पूछताछ में बताया कि इसने एक वीक में एक बार माल सप्लाई करने की बात बताई है। मुकदमें कम हुए है। बहुत सफलता से इसने मादक पदार्थ की तस्करी की है। आलीशान बंगने के साथ-साथ था गैरेज आलीशान बंगले में रहने के साथ-साथ एक गैरेज बना रखा था। जहां पर टायर बदलने, चेसिस नंबर, गाडी मॉडिफाई करना सहित काम कर मादक पदार्थ की तस्करी करता था। पुलिस कुख्यात आरोपी और उसके ड्राइवर सहित उसके दो मैकेनिक को गिरफ्तार किया है। इनके पास से 2 पिस्तौल, 63 कारतूस 9 एमएम, 6 मोबाइल, 2 डोंगल, स्कार्पियो व फॉर्च्युनर कार को जब्त किया है। पुलिस को देखकर आरोपी ने 6 मोबाइल को जला दिया था। उसे भी पुलिस ने बरामद किया है। पुलिस ने कार्रवाई बीती रात को की है। खुलासा रविवार शाम को किया है। यह आरोपी गिरफ्तार आईजी विकास के मुताबिक आरोपी के जसाराम उर्फ जसवंत, जसराम उर्फ जसू उर्फ जसिया कई सारे नाम है। इसकी उम्र करीब 40 साल और बायतु का निवासी है। उसका ड्राइवर जसराज है। जो हिस्ट्रीशीटर है। पुलिस टीम ने जसाराम उर्फ जसवंत उर्फ जसु उर्फ जसिया (34) पुत्र रतनाराम निवासी बायतु उसका ड्राइवर जसाराम (42) पुत्र जेताराम निवासी मगने की ढाणी, पुलिस थाना रिको क्षैत्र और गैरेज में काम करने वाले मैकेनिंक हनुमानराम (34) पुत्र मुलाराम निवासी चिमाणिंयो की ढाणी, बाड़मेर मगरा और पर्वतसिंह (32) पुत्र बंशीसिंह निवासी गांधीनगर बाड़मेर पुलिस थाना कोतवाली जिला बाड़मेर को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने अपने घर व गैरेज के चारों तरफ सीसीटीवी फुटेज लगाए हुए हैं। आरोपी ने दो दिन पहले डोडा-पोस्त की सप्लाई धोरीमन्ना में थी। इसकी निशानदेही पर वहां से बरामद कर लिया है।

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