एनसीसी के वार्षिक प्रशिक्षण शिविर की हुई शुरुआत:कर्नल राम मधुकर शर्मा बोले- जज्बे, जुनून और एडवेंचर से भरपूर है एनसीसी कैंप

प्रथम राज आर्मड स्कवाड्रन एन.सी.सी. के वार्षिक प्रशिक्षण शिविर की सांगानेर के शिकारपुरा में शुरुआत हुई। कैंप कामाडेंट कर्नल राम मधुकर शर्मा ने बताया की 3 जुलाई तक चलने वाला यह कैंप एकता और अनुशासन की डोर में बंधे जज्बे जूनून और एडवेंचर से भरपूर होगा। इस एटीसी कैंप में जयपुर के संगानेर, निवारू रोड, कालवाड़, चौमू, कोटपूतली सहित राजस्थान कॉलेज, कॉमर्स कॉलेज, वीआईटी और सेंट विलफ्रेड कॉलेज के लगभग 450 एनसीसी कैडेट्स प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
जिसमें 7 पीआई स्टॉफ के रूप में एनसीओ, एक जेसीओ, 7 केयर टेकर अधिकारी और 9 एसोसिएट एन.सी.सी. अधिकारी कैडेट्स के प्रशिक्षण के लिए 24 घंटे उपलब्ध हैं। इसके अलावा भारतीय सेना के विभिन्न वरिष्ठ अधिकारी भी समय समय पर कैडेट्स को प्रशिक्षण देने के लिए उपलब्ध हो सकेंगे।
कर्नल शर्मा ने बताया की एन.सी.सी. का यह कैंप विद्यालय और महाविद्यालय के विद्यार्थियों को एक प्रकार से सैनिक जीवन की अनुभूति प्रदान करने वाला हैं, जो विषम परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल ढालकर जीवन जीने का तजुर्बा प्रदान करते हैं।
यह एन.सी.सी. कैंप विद्यार्थी जीवन में एकता और अनुशासन की मिशाल कायम करने के लिए कठोर परिश्रम से गुजरते हुए प्रत्येक चुनौती से निपटना सिखाता है। कैडेट्स में नेतृत्व क्षमता का अभूतपूर्व विकास करते हैं। एनसीसी के यह कैंप राष्ट्र की रक्षा की खातिर अपना सर्वस्व न्योछावर करना सिखाते हैं। कैडेट्स को समाज में समभाव और समादर से जीना सिखाते हैं। एक प्रकार से एनसीसी का यह कैम्प विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का आधारभूत केन्द्र हैं।
मेजर राजेश कुमार शर्मा ने बताया की कैंप में कंही मैनेजमेंट तो कहीं स्किल डेवलपमेंट और कहीं लीडरशिप पर लेक्चर तो कभी ड्रिल और फायरिंग की ट्रेनिंग का नजारा देखने लायक होता है। इसके अलावा कहीं लोक गीत तो कहीं देशभक्ति गीतों पर डांस की खूबी है हमारे इस एटीसी कैंप की खासियत बनते हैं।
मेजर राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि इस कैम्प में अलग अलग विद्यालय और महाविद्यालय के कैडेट्स को मिलाकर उनका एक हाउस बनाया जाता है। जिससे कैडेट्स में सामाजिक समरसता, भाईचारा, सहयोग, अपनापन के अलावा सामंजस्य और धैर्य जैसे गुणों का विकास होता है। कैडेट्स के बीच विभिन्न प्रतियोगिताओं और विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में भी विद्यालय या महाविद्यालय की विजय ना होकर हाउस की विजय होती है। जिससे टीम भावना का विकास होता है।

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