IndianWebs ओपिनियन:संविधान बचाने के विपक्षी मुद्दे की दिव्य काट- आपातकाल

पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अबकी बार, चार सौ पार का नारा दिया था। भाजपा के ही कुछ नेताओं ने संविधान संशोधन या उसे बदलने के संदर्भ में बयान दे दिए। कांग्रेस ने इस मुद्दे को तुरुप का इक्का बना लिया। उसने कहना शुरू कर दिया कि भाजपा को जिता दिया तो वह संविधान ही बदल देगी। हालाँकि भाजपा या नरेंद्र मोदी सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं थी, लेकिन कांग्रेस ने इस मुद्दे को बड़ा बना दिया और चुनाव परिणामों के बाद भी उसने इस मुद्दे को नहीं छोड़ा। लोकसभा में सांसदों के शपथ ग्रहण के दौरान इंडिया गठबंधन के सदस्य संविधान की प्रति हाथ में लिए हुए देखे गए। राहुल गांधी हों या अखिलेश यादव, लगभग सभी विपक्षी सांसदों ने संविधान की प्रति हाथ में लेकर ही शपथ ली। हालाँकि सत्ता पक्ष ने विपक्ष के इस कृत्य को दिखावा बताया और कहा कि नारेबाज़ी और नाटकों से संसद नहीं चलने वाली है। इस बीच कांग्रेस या विपक्ष की इस चाल की सचमुच दिव्य काट सत्ता पक्ष को मिल गई। दरअसल, 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था। 25 जून 2024 को आपातकाल की 50वीं बरसी थी। यह दिन वही है जब 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष का नामांकन हुआ और एक दिन बाद यानी 26 जून को चुनाव। सत्ता पक्ष ने इमरजेंसी के इस मामले को ज़ोर-शोर से उठाया। दरअसल, आपातकाल संविधान की तमाम भावनाओं को बलपूर्वक कुचल देने का साक्षात उदाहरण है। संविधान बदल देने के विपक्ष के आरोप के सामने सत्ता पक्ष के पास इमरजेंसी का यह मामला एक तरह की दुधारी तलवार साबित हुआ। सत्ता पक्ष का कहना है कि संविधान को तहस – नहस तो कांग्रेस ने किया था। आपातकाल लगाकर। इस दौरान पूरा देश एक खुली जेल में बदल दिया गया था। कोई किसी की सुन नहीं रहा था। जिसको, जब चाहे जेल में ठूँसा जा रहा था। कोई सुनवाई नहीं थी। कोई अपील की गुंजाइश नहीं थी। मीडिया तक सरकार के इशारों पर चलने को मजबूर हो गया था। खबरें जो प्रकाशित होनी थी, उन्हें पहले सरकारी अफ़सर जाँचते- परखते थे, तब ही छप पाती थीं। कुल मिलाकर सरकारी बयानों के अलावा कोई खबर नहीं बन पाती थी। नए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी अपने पहले भाषण में इमरजेंसी का मुद्दा उठाया। इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इमरजेंसी पर विपक्ष को घेरा था। आख़िरकार कांग्रेस बैक फुट पर आ गई ऐसा लगता है। अब उसके अलग अलग सांसद चिट्ठियाँ लिख रहे हैं। कोई लोकसभा अध्यक्ष को तो कोई राष्ट्रपति को।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *