पुलिस टीम पर हमले के आरोपी हिस्ट्रीशीटर फिरोज खान सहित 10 मकानों पर चलाए गए बुलडोजर की घटना के दूसरे दिन शुक्रवार को कमल खां का बास मन्नाका में सन्नाटा छाया रहा। कई घरों पर ताले जड़े थे। कुछ लोग अपने टूटे मकानों का सामान एकत्रित करते दिखे। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि बिना जांच के दिव्यांग 30 वर्षीय जरिना पुत्र महामल खान के घर को बुलडोजर से गिरा दिया। जबकि वह अपनी मां के पास अकेली रहती है। अब वह बेघर हो गई है। पुलिस से मारपीट करने वालों में बच्चों के नाम तक लिख लिए। जफरू के 11 साल के बेटे साद का नाम एफआईआर में लिख दिया, जबकि वह उस समय मौके पर नहीं था। ग्राम पंचायत ने तीन साल पहले गांव में पानी के लिए ट्यूबवैल लगाया था, लेकिन प्रशासन ने इसे क्षतिग्रस्त कर बोरिंग में लगी मोटर के िबजली कनेक्शन को काट दिया और मोटर बोरिंग में डाल दी। पुलिस ने 41 लोगों के खिलाफ पुलिस टीम से मारपीट व पथराव करने का मामला दर्ज किया है। इनमें से अधिकांश निर्दोष हैं। सामान समेटती समय रोने लगी महिलाएं : घर पर टूटा सामान समेट रही महिला आशी खान ने बताया कि हमने किसी पुलिस वाले से मारपीट नहीं की। फिर भी हमारा मकान ढहा दिया। पुलिस के डर से परिवार के सदस्य घर नहीं लौट रहे हैं। रेशी खान ने बताया वह तो अपने परिवार से मिलने यहां आई थी। लेकिन, प्रशासन ने उसके चार भाइयों के मकानों को जेसीबी से तोड़ दिया। मैंने प्रशासन से कहा कि हम तो निर्दोष हैं। लेकिन, बात नहीं सुनीं। 50 साल से रह रहे थे, अब तोड़ दिए : असरू खान व अब्बू खान ने बताया कि पुलिस आरोपियों पर कार्रवाई करती तो बात समझ में आती। हम करीब 50 साल से यहां मकान बनाकर रह रहे हैं। लेकिन, यूआईटी ने हमारे घर को तोड़ दिया। हम तो मजदूरी व ट्रक चलाकर अपना परिवार पाल रहे हैं। पुलिस के साथ हुई मारपीट के दौरान परिवार का कोई सदस्य मौके पर नहीं था। फिर परिवार के लोगों के नाम रिपोर्ट में लिख दिए। पुलिस को हिस्ट्रीशीटर का नहीं लगा सुराग : पुलिस टीम पर हमला व पथराव की घटना के बाद फरार हुए हिस्ट्रीशीटर फिरोज खान का घटना के 6 दिन बाद भी कोई सुराग नहीं लगा है। वैशाली नगर थानाधिकारी सीताराम सैनी ने बताया कि हिस्ट्रीशीटर की तलाश के लिए टीम लगी हुई है। पुलिस पर हमले में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश में उनके ठिकानों पर दबिश दी गई। लेकिन, आरोपी घरों से फरार मिले। पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी है। कमल खां का बास मन्नाका में टूटे मकानों के पास जमा ग्रामीण।